भारत में हर मिनट एक बड़ी और चिंताजनक दुर्घटना होती है और हर घंटे १६ लोगो की मौत हो जाती है। करीबन २० बच्चे १४ साल से काम उम्र के उनकी मौत हो जाती है हर दिन सड़क दुर्घटनाओं के कारण। भारत में हर साल लगभग ३% जी.डी.पी. पीड़ितों के इलाज पर खर्च होता है। अगर सड़क दुर्घटना से हुई मौत को रोका जा सके तो जो पैसे पीड़ितों के इलाज पर लगे और वो भारत के विकास आदि में काम आ सकता है।
हर साल भारत में हेलमट ना लगाने की वजह से, नशे में वाहन चलाने से, तेज़ गति में वाहन चलाने आदि से १४७००० लोगो की मौत हो जाती है। सड़क हो या पुल्ल उनका विकास करने के लिए ये पैसे काम आ सकता है। सख्त नियम लागू करने से और जुर्माना बढ़ाने से और सजा देने से दुर्घटनाओं का होना कम किया जा सकता है।
इस अधिनियम में संशोधन करने के बाद कुछ बदलाव आएंगे जैसे की :
- अगर नाबालिग बच्चा वाहन चलता है तो उस गाडी के मालिक के खिलाफ कारवाही की जाएगी और अगर नाबालिग कोई सड़क दुर्घटना करता है तो उसके माता-पिता को २५००० रुपये का जुरमाना भरना पोडेगा और तीन साल की सजा हो सकती है
- स्कूटर चलाते वक़्त हेलमेट ना लगाने पर १००० रुपये का जुरमाना भरना पड़ेगा और तीन महीने तक लाइसेंस रद्द करने का भी प्रववधान बनाया गया है।
- सीट बेल्ट ना लगाने पर १००० रुपये का जुर्माना लगेगा। पुराने अधिनियम के तहत सीट बेल्ट ना लगाने पर १०० रुपये का जुरमाना लागता था लेकिन अब उसे बढ़ा दिया गया है।
- वाहनों का पजीकरण और चालाक को लाइसेंस बनवाने के लिए अब आधार कार्ड अनिवार्य है।
- वाहन चलाते वक़्त मोबाइल पर बात करने पर पहले १००० का जुर्नमाना लगता था लेकिन अब उसे बढ़ा कर ५००० रुपये कर दिया गया है।
- नशे में वाहन चलाने पर अब जुर्माना २००० रुपये से ५००० रुपये कर दिया गया है।
- तेज गति पर वाहन चलाने पर ४०० रुपये का जुर्माना बढ़ा कर अब १०००-२००० रुपये कर दिया है।
आधार से सब लइसेंस जुड़ जाने के बाद सारा डाटा केंद्रीय हो सकता है जिसे फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों को ढूंढ पाना आसान हो जाएगा। जो लोग नियमो का पालन नहीं सकते उन्हें दंड मिले और जो पैसा लोगो के इलाज तथा भरपाई करने में लग रहा है वो सडको और बाकी विकास में काम आ सकता है। मोटर वाहन अधिनियम (संशोधन) २०१७ के पारित हो जाने पर यह सड़क दुर्घटनाओं को कम सकेगा साथ ही साथ नियमो का पालन ना करने वालो को दंड देगा जिससे लोग नियमो के प्रति ज़िम्मेदार बनेगे। अमेरिका जैसे देशो में नियमो का सख्त पालन करने की वजह से वहाँ दुर्घटनाओं के मामले ना के बराबर देखे जाते है। भारत भी अधिनियमों में संशोधन की मदद से बदलाव लाने में और दुर्घटनाओं को कम करने में सफल होगा।
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